“Yachna Nahi ab Ran Hoga”: Air Marshal Ak Bharti warns Pakistan in the words of Ramdhari Singh Dinkar

The moment that really stands out is when Marshal Ak Bharti starts the briefing, a powerful poem by Ramdhari Singh Dinkar is recited.
Here is Dinkar’s complete poem:
वषोंवन-में-घूम,
,
सह-घ-घघ, पपतथ,
पआये.
सौभनसबदिनहै,
देखें, आगेआगेहै। है।
मैतकीनेको,
सबको, ने,
दुयोधननेको,
भीषणभीषणवंसको,
भगव,
ये।
प, इसमेंइसमेंयदिहो,
तोदेदोकेवलंचंच,
अपनीती
हमहमखुशीसेसे,
पिजनअसिन!
दुयोधनवहभीदेसक
आशीषआशीषकीलेन,
उलटे, ह, हकोकोंधनेंधने
जो, स. . .
जबजबशहै,
पहलेविवेकहै। है।
हिने,
,
डगमग-डगमगडगमगज,
– बोले-
जंजीध,
ह, ह! मुझे।
यह, गगन, गगलय,
यह, पवन, पवनलय,
मुझमेंमुझमें,
मुझमेंमुझमेंलय
अमहैहै,
हैहै
,
भूमंडलभूमंडलथलथललथल,
भुजप-िधि-बनधेे,
मैनुेहैं।
दिपते,
सबसबेेमुखके.
दृगदृगतोयदेखदेख,
मुझमें, देख, देख,
जग, जग, क,
नशमनुषयअम.
शतकोटि, शत, शतशतकोटिकोटिकोटिकोटि
शत, स, सिनधुधुमन. .
शत, ब, महेश, महेश,
शतशतणुणु, धनेश,
शत, शत, शतशतकोटिकोटि,
शतशतकोटिकोटि
जञ,
! ब
भूलोक, अतल, प, प,
गत,
यहदेखआदिआदि-सृजन,
यह, मह, मह,
मृतकोंमृतकोंपटीभू,
पहच, इसमेंइसमेंंहै।
अम,
पदपदकेलल,
मुटठीमेंदेख,
मेूपलल
सबसबमसेसेहैं,
फिलौटमुझीआतेआते
जिहसेकढ़तीलल,
सम,
पड़,
हंसनेहंसनेलगतीटि!
मैंजभीहूंं,
छम
बतोहै,
जंजीबड़ीहैहै?
यदि,
पहलेपहलेंधतत
सूनेकोधन,
वहवहंधकबसकत?
हित-वचनवचनतूनेम,
मैत,
तो, मैं, मैंभीहूंं,
अनतिमतिमहूं। हूं।
,
जीवन-जयकि. .
टक,
बसेगीभूनिनि
फण,
विकल. .
दु! .
फिकभी. .
ईटूटेंगे,
विष-ब-ण-से,
वलसुख,
सौभयकेफूटेंगे।
आखि,
द. .
थी, सब, सब
चुपथेथेबेहोशबेहोश
केवलकेवलथथे,
धृतसुखसुखतेते
कजोड़खड़ेखड़े,
नि, दोनोंते’जय-जय’!